Waqf Bill Kya Hota Hai ? विपक्ष क्यों कर रहा विरोध? जानिए नए बिल की खास बातें और नए समाचार।
लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश कर दिया गया है। इसे केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रस्तुत किया और उन्होंने इसे मुस्लिम समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। इस विधेयक या बिल को लेकर इतनी चर्चा क्यों हो रही है आइये जानें।
Waqf Bill एक क़ानूनी प्रस्ताव है जो वक़्फ़ से जुड़े मामलों को नियंत्रित करने के लिए बनाया जाता है। वक़्फ़ एक इस्लामी संपत्ति प्रबंधन प्रणाली है जिसमें किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा अपनी संपत्ति को धार्मिक, परोपकारी या सार्वजनिक भलाई के उद्देश्य से स्थायी रूप से दान कर दिया जाता है। इस संपत्ति को फिर किसी धार्मिक या सामाजिक उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाता है, और इसे बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
वक़्फ़ बिल का उद्देश्य:वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा – वक़्फ़ संपत्तियों को अवैध कब्जे से बचाने और उनके सही उपयोग को सुनिश्चित करना।
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प्रबंधन में सुधार – वक़्फ़ संपत्तियों की देखरेख और प्रशासन को पारदर्शी बनाना।
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1923: पहला वक़्फ़ एक्ट लागू हुआ।
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1954: नया वक़्फ़ अधिनियम लाया गया, जिससे वक़्फ़ बोर्डों का गठन हुआ।
वर्तमान में प्रस्तावित वक़्फ़ बिल:
हाल ही में कुछ राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा वक़्फ़ अधिनियम में बदलाव करने की मांग उठी है। इसमें वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन, जांच और पारदर्शिता को लेकर नए प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं।
सबसे पहले जानें क्या होता है वक्फ ?
वक्फ इस्लामिक कानून के तहत एक ऐसा दान होता है, जिसमें किसी संपत्ति को धार्मिक या सामाजिक कल्याण के लिए स्थायी रूप से समर्पित कर दिया जाता है। यह संपत्ति आमतौर पर जमीन, इमारत, या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका स्वामित्व बदला नहीं जा सकता। इसे प्रबंधित करने के लिए एक 'मुतवल्ली' या ट्रस्टी नियुक्त किया जाता है, जो इस संपत्ति से होने वाली आय को तय उद्देश्यों के लिए उपयोग करता है। वक्फ संपत्तियों का उपयोग मस्जिद स्कूल अस्पताल पुल कब्रिस्तान और पीने के पानी की सुविधा जैसी सार्वजनिक सेवाओं के लिए किया जाता है।
भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है, जो एक वैधानिक निकाय है। भारत में करीब 8.7 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जो 9.4 लाख एकड़ भूमि पर फैली हुई हैं, जिससे यह देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीनी मालिक बनता है।
भारत में वक्फ संपत्तियों की स्थिति
भारत में दुनिया की सबसे अधिक वक्फ संपत्तियां हैं, लेकिन मौजूदा कानूनों में खामियों के कारण उनका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। यह नया बिल इन संपत्तियों की बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है। मंत्री रिजिजू के अनुसार, इतनी बड़ी संपत्तियों से मात्र 100 करोड़ रुपये सालाना आमदनी होती है, जबकि यह हजारों करोड़ होनी चाहिए।
वक्फ BILL 2024 के अहम बाते
इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए कई संशोधन का प्रस्ताव रखा गया है।
- नाम में बदलाव: वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर "यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी और डेवलपमेंट एक्ट, 1995" करने का प्रस्ताव।
- महिला और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व: वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान।
- सरकारी संपत्तियों पर नियंत्रण: यदि कोई संपत्ति सरकार की घोषित होती है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
- वक्फ बोर्ड की जांच शक्तियों में कटौती: अब वक्फ बोर्ड को यह तय करने का अधिकार नहीं होगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं ,
विपक्ष क्यों कर रहा विरोध ( WAQF BILL )
इस बिल को लेकर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इसे “असंवैधानिक और विभाजनकारी” बताया है। उनका आरोप है कि सरकार ने संयुक्त संसदीय समिति की सिफारिशों को नज़रअंदाज किया है।
कांग्रेस नेता खलीकुर रहमान का कहना है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता (autonomy) को कमजोर करता है और जिलाधिकारियों को अधिक शक्तियां देता है। वहीं, कांग्रेस सांसद किरण कुमार चमाला ने कहा कि यदि यह बिल किसी समुदाय के अस्तित्व को प्रभावित करता है, तो विपक्ष इसका कड़ा विरोध करेगा।
क्या है वक्फ कानून का इतिहास? (Waqf Law history)
केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण, कहा कि आजादी से पहले यह बिल जब पहली बार मुसलमान वक्त वैलिडेटिंग एक्ट पास किया गया था 1913 में, तब से इसका इतिहास शुरू होता है। उससे पहले प्रीवी काउंसिल ने 1894 में इनवैलिडेट किया था वक्फ अल औलाद को। बाद में उसका प्रॉपर लीगल फॉर्म में 1913 के बाद, फिर 1923 में द मुसलमान वक्फ एक्ट लाया गया था।
फिर 1930 में द मुसलमान वक्प वैलिडेटिंग एक्ट लाया गया है जो रिइनफोर्स करता है लीगल वैलिडिटी ऑफ द फैमिली वक्फ। परिवार में जो वक्फ होता है उसको जोर देते हुए यह बिल लाया गया है। उसके बाद आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार आजाद भारत का एक्ट बना है। और उस समय 1954 के एक्ट में ही स्टेट वक्फ बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था।
रिजिजू ने आगे बताया '1995 में ट्राइब्यूनल का पहला व्यवस्था किया गया है ताकि वक्फ बोर्ड का कोई भी निर्णय किसी को अगर पसंद नहीं है या उसे चैलेंज करना चाहता है तो वह ट्राइब्यूनल के पास जा सके। उसका प्रावधान पहली बार तभी हुआ था। उसी वक्त यह भी फैसला हुआ था कि 5 लाख से ज्यादा आमदनी किसी वक्त प्रॉपर्टी में है
2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन किया। कानून में यह प्रावधान किया कि सिर्फ मुसलमान नहीं, हिंदू, जैन, बौद्ध, इसाई, पारसी, मतलब कोई भी धर्म-जाति का इंसान अपनी प्रॉपर्टी वक्फ कर सकता है। सबको मालूम है मुसलमान अल्लाह के नाम पर अपनी संपत्ति दान कर सकता है।
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